जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमराई, मरीजों की देखभाल और सुरक्षा में हो रही लापरवाही, सुधार की मांग लेकर दिव्यांग संदीप ने कलेक्टर को सौंपा शिकायती पत्र

जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमराई, मरीजों की देखभाल और सुरक्षा में हो रही लापरवाही,   सुधार की मांग लेकर दिव्यांग संदीप ने कलेक्टर को सौंपा शिकायती पत्र

 

 

कटनी। जिला चिकित्सालय में आपातकाल में दुर्घटना में आए अकेले मरीज की देखभाल और उसकी सुरक्षा में लापरवाही की जाती है। दुर्घटना में घायल होकर आने वाले मरीज अक्सर अकेले और होश में नहीं रहते। उन्हें सामान्य सा उपचार देकर वार्ड में पड़े रहने दिया जाता है। कुछ इस तरह के आरोप लगाते हुए दिव्यांग संदीप रजक ने आज जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर को एक शिकायती पत्र देकर सुधार की मांग रखी।

उसने कहा कि 23 मार्च 2024 को भट्टा मोहल्ला के भोला यादव शराब के ओवरडोज के कारण आजाद चौक मस्जिद के आगे नाले के किनारे बेहोश मिले थे उन्हें 108 एंबुलेंस ‌द्वारा भर्ती कराया गया। लेकिन दूसरे दिन होश आने पर उन्हें दृश्य मतिभ्रम होने पर अस्पताल से भागने के लिए निकले और मुन्ना भाईजान की चाय की दु‌कान के सामने सर के बल गिरकर दम तोड़ दिया। 27 मार्च को मेरे द्वारा खोजबीन करके परिजन के साथ उनकी मृत्यु की खबर अस्पताल परिसर की पुलिस चौकी से प्राप्त किए, जबकि सोशल मीडिया के जरिए मरीज की जानकारी उनके घरवालों तक पहुंचाई जा सकती है। दूसरी लापरवाही 5 अक्टूबर 2024 को हरकेश आदिवासी नाम के मानसिक विछिप्त अज्ञात व्यक्ति की जानकारी समाजसेवी HOPP ग्रुप में सदस्य के माध्यम से प्राप्त हुई। मेरे द्वारा गुलवारा से 108 एंबुलेंस द्वारा लाया गया। एंबुलेंस ने उसे अस्पताल के पीछे दरवाजे के सामने उतारकर चले गए क्यों की उससे बदबू आ रही थी। उन्होंने कहा आप चलाकर उसे सामने के दरवाजे से एमरजेंसी ले जाओ वहां पीछे की तरफ रास्तों में घनघोर अंधेरा था और मरीज के हाथ में कीड़े लगे हुए थे। बदबू भी तीव्र थी। हमने उसे चलाकर मोबाइल की टॉर्च दिखाकर इमरजेंसी में लेकर आए जहां नर्स ने समय लगाया और उसे इमरजेंसी स्टेचर में अंदर लेकर भी नहीं गए। एक सहायक से उसके घाव में बंधे कुछ कपड़े के टुकड़े काटकर बीटाडीन डालकर वार्ड में भेज दिया गया। 2 दिन तक उसकी ड्रेसिंग नहीं की गई अस्पताल प्रबंधन दवारा जवाब दिया गया कि ड्रेसिंग करने वाले की कमी है और वो रविवार को नहीं आता। ऐसा बोलकर तीसरे दिन ड्रेसिंग हुई और उसके हाथ की नसी को कीड़े खा लिए थे जिससे वो खाना या दवाई नहीं खा सकता था। उसे नर्स दवारा हाँथ से खाना या दवाई नहीं दी जा रही थी। हमारे कहने पर एक बार दवाई दी गई। 3 दिन तक समय पर दवाई नहीं दी गई न ही भोजन कराया गया। जबकि नर्स का दायित्व दवाई और खाना खिलाने का है। यदि मरीज के हाथ या दिमाग काम न करे तो उन्हें खिलाया जाए। शिकायत कर्ता ने कहा कि मेरे स्वास्थ्य में खराबी के कारण उसे देखने नहीं जा पाया और वो कही चला गया। 5 दिन पहले और मुझे या संस्था के नंबर दर्ज थे उन्हें सूचित नहीं किया गया कि मरीज कही चला गया है। एक और मरीज भर्ती हुए जिनके सर में कीड़े थे 20 दिन में 3 बार ही ड्रेसिंग हुई यानी इससे सिद्ध होता है कि अस्पताल में ड्रेसिंग करने वाले और नर्स और सुरक्षा गार्ड द्वारा मरीज पर नजर नहीं बनाई जाती की कौन आ रहा है। पूछताछ नहीं होती यह उच्च कोटि की भवन तकनीक से बना अस्पताल है लेकिन सुविधा साफ सफाई में लापरवाही है। यहां लावारिस मरीज की दुर्दशा कर दी जाती है।  मरीज की सुरक्षा एवं बेहतर उपचार सुविधा मुहैया कराने की मांग करते हुए उसने कलेक्टर से ईश्वर ध्यान देने की अपील की है।

जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमराई, मरीजों की देखभाल और सुरक्षा में हो रही लापरवाही, सुधार की मांग लेकर दिव्यांग संदीप ने कलेक्टर को सौंपा शिकायती पत्र

 

कटनी। जिला चिकित्सालय में आपातकाल में दुर्घटना में आए अकेले मरीज की देखभाल और उसकी सुरक्षा में लापरवाही की जाती है। दुर्घटना में घायल होकर आने वाले मरीज अक्सर अकेले और होश में नहीं रहते। उन्हें सामान्य सा उपचार देकर वार्ड में पड़े रहने दिया जाता है। कुछ इस तरह के आरोप लगाते हुए दिव्यांग संदीप रजक ने आज जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर को एक शिकायती पत्र देकर सुधार की मांग रखी।
उसने कहा कि 23 मार्च 2024 को भट्टा मोहल्ला के भोला यादव शराब के ओवरडोज के कारण आजाद चौक मस्जिद के आगे नाले के किनारे बेहोश मिले थे उन्हें 108 एंबुलेंस ‌द्वारा भर्ती कराया गया। लेकिन दूसरे दिन होश आने पर उन्हें दृश्य मतिभ्रम होने पर अस्पताल से भागने के लिए निकले और मुन्ना भाईजान की चाय की दु‌कान के सामने सर के बल गिरकर दम तोड़ दिया। 27 मार्च को मेरे द्वारा खोजबीन करके परिजन के साथ उनकी मृत्यु की खबर अस्पताल परिसर की पुलिस चौकी से प्राप्त किए, जबकि सोशल मीडिया के जरिए मरीज की जानकारी उनके घरवालों तक पहुंचाई जा सकती है। दूसरी लापरवाही 5 अक्टूबर 2024 को हरकेश आदिवासी नाम के मानसिक विछिप्त अज्ञात व्यक्ति की जानकारी समाजसेवी HOPP ग्रुप में सदस्य के माध्यम से प्राप्त हुई। मेरे द्वारा गुलवारा से 108 एंबुलेंस द्वारा लाया गया। एंबुलेंस ने उसे अस्पताल के पीछे दरवाजे के सामने उतारकर चले गए क्यों की उससे बदबू आ रही थी। उन्होंने कहा आप चलाकर उसे सामने के दरवाजे से एमरजेंसी ले जाओ वहां पीछे की तरफ रास्तों में घनघोर अंधेरा था और मरीज के हाथ में कीड़े लगे हुए थे। बदबू भी तीव्र थी। हमने उसे चलाकर मोबाइल की टॉर्च दिखाकर इमरजेंसी में लेकर आए जहां नर्स ने समय लगाया और उसे इमरजेंसी स्टेचर में अंदर लेकर भी नहीं गए। एक सहायक से उसके घाव में बंधे कुछ कपड़े के टुकड़े काटकर बीटाडीन डालकर वार्ड में भेज दिया गया। 2 दिन तक उसकी ड्रेसिंग नहीं की गई अस्पताल प्रबंधन दवारा जवाब दिया गया कि ड्रेसिंग करने वाले की कमी है और वो रविवार को नहीं आता। ऐसा बोलकर तीसरे दिन ड्रेसिंग हुई और उसके हाथ की नसी को कीड़े खा लिए थे जिससे वो खाना या दवाई नहीं खा सकता था। उसे नर्स दवारा हाँथ से खाना या दवाई नहीं दी जा रही थी। हमारे कहने पर एक बार दवाई दी गई। 3 दिन तक समय पर दवाई नहीं दी गई न ही भोजन कराया गया। जबकि नर्स का दायित्व दवाई और खाना खिलाने का है। यदि मरीज के हाथ या दिमाग काम न करे तो उन्हें खिलाया जाए। शिकायत कर्ता ने कहा कि मेरे स्वास्थ्य में खराबी के कारण उसे देखने नहीं जा पाया और वो कही चला गया। 5 दिन पहले और मुझे या संस्था के नंबर दर्ज थे उन्हें सूचित नहीं किया गया कि मरीज कही चला गया है। एक और मरीज भर्ती हुए जिनके सर में कीड़े थे 20 दिन में 3 बार ही ड्रेसिंग हुई यानी इससे सिद्ध होता है कि अस्पताल में ड्रेसिंग करने वाले और नर्स और सुरक्षा गार्ड द्वारा मरीज पर नजर नहीं बनाई जाती की कौन आ रहा है। पूछताछ नहीं होती यह उच्च कोटि की भवन तकनीक से बना अस्पताल है लेकिन सुविधा साफ सफाई में लापरवाही है। यहां लावारिस मरीज की दुर्दशा कर दी जाती है। मरीज की सुरक्षा एवं बेहतर उपचार सुविधा मुहैया कराने की मांग करते हुए उसने कलेक्टर से ईश्वर ध्यान देने की अपील की है।

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????गड़बड़झाला???? जिस जमीन पर मेरा और मेरे परिवार का हक उसपर अवैध कारोबारी की नजर, कमिश्नर कोर्ट के आदेश भी नहीं मानता कब्जेदार, मेरी जमीन वापस दिलाओ सरकार, मामला माधव नगर के सीट क्रमांक 8 के प्लाट नंबर 292 का