महाकुंभ 2025 का आर्थिक प्रभाव, किस तरह अर्थव्यवस्था पर महाकुंभ डालेगा प्रभाव, पढ़े क्या बताती हैं अर्थशास्त्री डॉ. नम्रता श्रीवास्तव

महाकुंभ 2025 का आर्थिक प्रभाव, किस तरह अर्थव्यवस्था पर महाकुंभ डालेगा प्रभाव, पढ़े क्या बताती हैं अर्थशास्त्री डॉ. नम्रता श्रीवास्तव

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कटनी। महाकुंभ मेला 2025, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में चल रहा है, न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। इस आयोजन के दौरान अनुमानित 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा महाकुंभ बना देगा।

महाकुंभ मेला 2025 के लिए अनुमानित बजट आवंटन 7,500  करोड़ है, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार दोनों का योगदान शामिल है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह आयोजन 2.5 लाख करोड़ तक के वित्तीय लेन-देन उत्पन्न कर सकता है, जो भारत की जीडीपी का लगभग 0.8 प्रतिशत होगा।

महाकुंभ के दौरान, लाखों श्रद्धालु और पर्यटक प्रयागराज आते हैं, जिससे पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में भारी वृद्धि होती है। होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशालाएं, और अस्थायी आवासों की मांग बढ़ती है, जिससे स्थानीय व्यवसायों को लाभ होता है। इसके अतिरिक्त, रेस्तरां, कैफे, और अन्य खाद्य सेवाओं की मांग में भी वृद्धि होती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। महाकुंभ के दौरान, परिवहन सेवाओं की मांग में भारी वृद्धि होती है। रेलवे, बस, टैक्सी, और हवाई यात्रा की सेवाओं का उपयोग बढ़ता है, जिससे इन क्षेत्रों में राजस्व में वृद्धि होती है। इसके अलावा, सरकार द्वारा सड़क, रेलवे, और हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे में निवेश किया जाता है, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक लाभ होते हैं। महाकुंभ के दौरान, खुदरा क्षेत्र में भी वृद्धि देखी जाती है। श्रद्धालु और पर्यटक धार्मिक सामग्री, स्मृति चिह्न, कपड़े, और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की खरीदारी करते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों को लाभ होता है। इसके अलावा, खाद्य और पेय पदार्थों की बिक्री में भी वृद्धि होती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलता है। महाकुंभ के दौरान, लाखों लोगों की उपस्थिति के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की मांग में वृद्धि होती है। सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अस्थायी चिकित्सा शिविर, अस्पताल, और स्वास्थ्य सेवाएं स्थापित की जाती हैं, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलती है।

महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन के लिए, सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं। बुनियादी ढांचे के विकास, सुरक्षा प्रबंध, स्वास्थ्य सेवाओं, और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए विशेष उपाय किए गए हैं। प्रयागराज में 10,000 एकड़ में फैले अस्थायी शहर का निर्माण किया गया है, जिसमें हजारों तंबू, आश्रय, और आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा, 92 सड़कों का नवीनीकरण, 17 प्रमुख सड़कों की सजावट, और 30 पंटून पुलों का निर्माण किया गया है, जिससे यातायात और परिवहन सुविधाओं में सुधार हुआ है। मेले के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, एआई आधारित मॉनिटरिंग, सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन, और चेहरा पहचान तकनीक का उपयोग किया गया है। इसके अलावा, आग से सुरक्षा के लिए आर्टिकुलेटिंग वॉटर टावर, पानी के भीतर ड्रोन, और साइबर सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ टीमों की नियुक्ति की गई है। अस्थायी अस्पतालों, भिष्म क्यूब तकनीक, नेत्र कुंभ पहल, और बुजुर्गों व बच्चों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविरों की स्थापना की गई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। मेले के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए, स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन, और हरित पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके।

महाकुंभ मेला 2025 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक और गहरा प्रभाव पड़ेगा। विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से, यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार द्वारा की गई तैयारियां और निवेश, दीर्घकालिक आर्थिक लाभ प्रदान करेंगे, जिससे स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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