कृषि सखियां प्राकृतिक खेती की तकनीकों को खेतों तक पहुंचायें, कृषि सखी प्रशिक्षण के समापन पर बोले कलेक्टर, प्राकृतिक खेती के लिए 50 सखियां हुई प्रशिक्षित
कटनी। कृषि विज्ञान केन्द्र पिपरौंध में आयोजित कृषि सखियों के पांच दिवसीय प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम में कलेक्टर आशीष तिवारी ने कहा कि कृषि सखियां किसानों और खेतों तक प्राकृतिक खेती की तकनीकों को पहुंचाकर, अपने गांव और समाज में प्राकृतिक खेती की अग्रदूत बनें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित जैविक फसलों, सब्जियों आदि की बाजार में काफी मांग होने से इनकी कीमत भी अच्छी मिलती है। कलेक्टर श्री तिवारी ने रासायनिक उर्वरकों के खेती में बढ़ते प्रयोग से धरती की घटती उर्वरा क्षमता और उत्पादित फसलों में केमिकल तत्वों की वजह से होने वाले दुष्प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुये कलेक्टर ने कहा कि ऐसे समय में प्राकृतिक खेती कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने कृषि सखियों से संवाद करते हुये पशुपालन, प्राकृतिक खेती कर फसल और सब्जी-भाजी उगाने वाली कृषि सखियों की हौसलाअफजाई किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की शुरूआत में उत्पादकता कम होती है, इसलिए अपनी जमीन के एक भाग में प्राकृतिक खेती करें। फसलों में जीवामृत, ब्रहास्त्र जैसी जैविक दवाइयों का उपयोग करें। कलेक्टर ने कृषि सखियों के आग्रह पर मनरेगा योजना से वर्मी पिट बनवाने की बात कही।
कलेक्टर श्री तिवारी ने कहा कि प्राकृतिक खेती किसानों की आय बढ़ाने, पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और सुरक्षित खाद्य उत्पादन का प्रभावी माध्यम है। इसलिए कृषि सखियां किसानों तक प्राकृतिक खेती की तकनीकों को पहुंचाकर इसे और अधिक सुदृढ़ बनाने में महती भूमिका निभायें। कलेक्टर श्री तिवारी ने कहा कि कृषि सखियों का योगदान न केवल किसानों को रासायनिक खेती से बचाकर प्राकृतिक खेती की ओर ले जाएगा, बल्कि इससे मानव स्वास्थ्य एवं भोजन की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कलेक्टर ने कहा कि कृषि सखियां इस प्रशिक्षण में बताए गए प्राकृतिक खेती के तौर तरीकों को जानकारी आम किसानों को उनके खेत में जाकर सिखाएं, ताकि किसान इनसे प्राकृतिक खेती के लिए लेकर प्रेरित हों। उपसंचालक कृषि डॉ. रामनाथ पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत ग्रामीण महिलाओं को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। इसका लक्ष्य रासायनिक मुक्त और गुणवत्तापूर्ण फसलों का उत्पादन बढ़ाना है, जिसके लिए महिला किसानों को प्रशिक्षित करके सशक्त बनाना है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ए. के. तोमर ने अपने व्याख्यान में पशुधन का प्राकृतिक खेती में महत्व विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि गाय का गोबर एवं गोमूत्र प्राकृतिक खेती का आधार है। डॉ. आर पी बेन ने भी कृषि सखियों को उपयोगी जानकारी दी।
बच्चों को टीके अवश्य लगवायें
कलेक्टर आशीष तिवारी ने सभी कृषि सखियों से चर्चा के दौरान पूंछा कि गांवों में आशा कार्यकर्ता व एएनएम आती हैं कि नहीं, समय पर बच्चों को टीका लग रहा है। इस पर सभी ने कहा कि टीका समय पर लग रहा है और स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी बराबर गांव आती हैं। कलेक्टर ने सभी से कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में यदि कहीं कोई दिक्कत आ रही हो तो खुलकर बतायें। इसके पूर्व जैविक खेती के प्रगतिशील कृषक ग्राम बंडा निवासी हीरामणि हल्दकार ने कलेक्टर को जैविक सब्जियों की टोकरी भेंट की। श्री हल्दकार ने जैविक खेती की महत्ता को प्रदर्शित करते गीत का गायन किया। इस मौके पर सहायक संचालक कृषि द्वय रजनी सिंह, मनीष मिश्रा, कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर. पी. बेन, संदीप यदुवंशी, अर्पिता श्रीवास्तव और डॉ. यतिराज खरे मौजूद रहे।
