दो दिवसीय वर्सी पर्व का माधवनगर में हुआ आगाज, देश सहित विदेश से भी पहुंचे श्रद्धालु
कटनी। सतगुरु बाबा माधवशाह, सतगुरु बाबा नारायणशाह साहिब की स्मृति में मनाया जाने वाला पावन वर्सी पर्व प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष सतगुरु सांई ईश्वरशाह साहिब के पावन सानिध्य में 9-10 अक्टूबर 2025 को मनाया जा रहा है। वर्सी पर्व जीवन मुक्त विदेही मुक्त सतगुरु साहिबानों जिन्होंने मानव समाज को निष्काम एवं समत्व भाव से आत्मा को परमात्मा में अभेद होने के लिए सेवा, सत्संग, सिमरन-ध्यान, दर्शन से एक होने का प्रेमाभक्ति का सरल सहज मार्ग पूरी मानवता को दिया है। ऐसे जीवन मुक्त विदेही मुक्त सतगुरु साहिबानों की स्मृति में वर्सी पर्व मनाया जाता है। पावन वर्सी पर्व में भावभक्ति से रमने वाला गुरुमुख सेवक रुहानियत की अद्भुत निधियाँ स्वतः पाता है।
वर्सी जैसे पावन पर्व जीवों को असलता का भेद प्रदान करने के लिए मनाए जाते हैं, ये रुहानी जलसे भक्ति को अन्तर में भरने एवं अन्तर में बसाने की रुहानी कला सिखाते हैं। जिस प्रकार सूर्योदय से अंधेरे का नाश हो जाता है, उसी प्रकार रुहानी जलसों में अन्तर के नूर को जगाने और परम प्रकाश को पाने की कला मिलती है और अन्तर का अंधेरा नष्ट हो जाता है जीव परम प्रकाश की ओर अग्रसर हो जाता है, सूर्योदय के बाद जीव कहीं भी रहे उसे प्रकाश मिलता है, जीवन मुक्त संतजन जीवों को असलता का परिचय कराकर परम प्रकाश से जोड़ते हैं जीव असल, अमृत वचनों को शिरोधार्य कर परम प्रकाश को प्राप्त कर सकते हैं और मानव जीवन के उद्देश्य लक्ष्य को जान उसे प्राप्त कर सकते हैं।
जीवनमुक्त सतगुरु साहिबान जिन्होंने मानव समाज को भेद भाव रहित आध्यात्मिकता का सांचा मार्ग प्रशस्त कर निजघर में प्रवेश करने की युक्ति एवं कुन्जी अमृत नाम किया ऐसे विदेहीमुक्त जीवनमुक्त सतगुरु साहिबानों की स्मृति में पावन वर्सी पर्व मनाया जाता है वर्सी अर्थात अर्शी सतगुरु की लीलाओं मेहर कृपा उपकारों को याद करने का पर्व अर्शी सतगुरु जो अर्श से अमृत की बरखा लेकर बरसाते हैं, अर्श से अमृत की बरखा सुपात्र गुरुमुखों को प्राप्त होती है जो सेवा, सत्संग, सिमरन-ध्यान, दर्शन के अलख खुमार रमण करते हुए भव सागर से पार हो सकते हैं।
