????क्या हम होंगे कामयाब???? जागरूक तो हो जाएगी पर फरियाद सुनाने कहां जाएंगी, थानों में पदस्थ नहीं है महिला अधिकारी, न्याय के लिए पीड़िताओं को करनी पड़ती है जद्दोजहत, महिला संबंधी अपराधों के प्रति दिखती है उदासीनता

????क्या हम होंगे कामयाब????

जागरूक तो हो जाएगी पर फरियाद सुनाने कहां जाएंगी, थानों में पदस्थ नहीं है महिला अधिकारी, न्याय के लिए पीड़िताओं को करनी पड़ती है जद्दोजहत, महिला संबंधी अपराधों के प्रति दिखती है उदासीनता

 

कटनी। राज्य शासन द्वारा प्रदेश में जेंडर आधारित हिंसा की रोकथाम हेतु “हम होंगे कामयाब” जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के निर्देशन में जिले में विगत 25 नवंबर से आयोजित होने वाले इस पखवाड़े के तहत प्रतिदिन निर्धारित गतिविधियों का आयोजन कर लिंग आधारित हिंसा के रोकथाम एवं निवारण के संबंध में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन के द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान की सफलता तब तक नहीं मानी जा सकती, जब तक महिला पीड़ितों की फरियाद सुनने उन्हें अपने समीपवर्ती थाने में कोई सक्षम अधिकारी ना मिले। कटनी जिला पुलिस विभाग के तीन अनुभागों में विभक्त है। तीन अनुभागों में से दो अनुभाग ऐसे हैं जहां पर महिला संबंधी अपराधों की सुनवाई और विवेचना करने के लिए महिला पुलिस अधिकारी की तैनाती है। जिले के सबसे ज्यादा चर्चित विजयराघवगढ़ अनुभाग में तो कोई सक्षम महिला अधिकारी ही तैनात नहीं है। यहां पर तैनाती के नाम पर केवल एक महिला एएसआई की तैनाती है, जो की महिला संबंधी छुटपुट घटनाओं की सुनवाई तो कर सकती हैं, मगर दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों की सुनवाई और विवेचना करने का उन्हें अधिकार ही नहीं। ऐसे में जागरूक होने के बाद पीड़ित महिलाएं अपनी फरियाद सुनाए भी तो किससे।

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सिर्फ दो थानों में महिला अधिकारी

पुलिस विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कटनी पुलिस बल में केवल दो थाने ऐसे हैं जहां पर महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती वर्तमान में है। इन दो थानों में शहरी अनुभाग के माधवनगर थाना, कोतवाली थाना एवं स्लिमनाबाद अनुभाग के स्लीमनाबाद थाने में महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है। जिले की हॉट सीट विजयराघवगढ़ विधानसभा के विजयराघवगढ़ अनुभाग में केवल एक एएसआई विजयराघवगढ़ थाने में पदस्थ है जो की अनुभाग के सभी थानों के बीच चक्कर लगाते हुए पीड़ित महिलाओं की समस्याएं सुनती है। देखा जाए तो विजयराघवगढ़ अनुभाग में पदस्थ महिला एएसआई को महिला संबंधी गंभीर अपराधों की सुनवाई करने का अधिकार ही नहीं। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि विजयराघवगढ़ अनुभाग में सक्षम महिला पुलिस अधिकारी की पदस्थापना है ही नहीं।

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लगाने पड़ते हैं चक्कर

ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब जिले के किसी थाने में महिला संबंधी अपराधों की सूचना प्राप्त न हो। सूचना प्राप्त होने के बावजूद चाह कर भी पीड़ित महिलाओं की फरियाद सुनी नहीं जा सकती। इसका कारण वहां पर महिला अधिकारी का मौजूद न होना बताया जाता है। आए दिन पीड़ित महिलाओं को न्याय की आस लगाए इधर-उधर भटकते हुए देखा जाता है। कई बार तो ऐसी घटनाएं भी होती हैं जहां पर समय पर न्याय न मिल पाने के कारण पीड़ित महिलाएं आत्मघाती कदम उठा लेती हैं। ताजा मामला माधव नगर थाना क्षेत्र में देखने को मिला था। जहां पर एक नाबालिक गर्भवती ने समय पर न्याय न मिल पाने के कारण आत्मघाती कदम उठा लिया था।

कैसे मिलेगा न्याय

आए दिन प्रताड़ना का शिकार होने वाली पीड़ित महिलाएं थानों में पहुंचकर या फिर डायल 100 के जरिए अपनी शिकायत तो दर्ज कराती हैं लेकिन उन्हें समय पर न्याय नहीं मिल पाता ऐसे में प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन महिला हिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करके करेगी भी क्या, जब उन्हें न्याय समय पर मिल ही नहीं सकेगा।

होनी चाहिए पदस्थापना

वैसे तो हर थाने में एक महिला सक्षम अधिकारी की पदस्थापना की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा संभव अगर नहीं है तो भी ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए जिससे पीड़ित महिलाओं के पास महिला पुलिस अधिकारी कुछ देर में ही पहुंच जाए। वर्तमान स्थिति में ऐसा हो नहीं पा रहा। ऐसा नहीं है कि विभाग में सक्षम महिला पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं है।

इनका कहना है

इस संबंध में बातचीत करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉक्टर संतोष डेहरिया ने कहा कि विभाग में महिला पुलिस अधिकारियों की कमी है, जिसके कारण यह समस्या तो आती है लेकिन शिकायत आने पर तत्काल न्याय दिलाने के हर संभव प्रयास विभाग के द्वारा किए जाते हैं।

????क्या हम होंगे कामयाब????
जागरूक तो हो जाएगी पर फरियाद सुनाने कहां जाएंगी, थानों में पदस्थ नहीं है महिला अधिकारी, न्याय के लिए पीड़िताओं को करनी पड़ती है जद्दोजहत, महिला संबंधी अपराधों के प्रति दिखती है उदासीनता

कटनी। राज्य शासन द्वारा प्रदेश में जेंडर आधारित हिंसा की रोकथाम हेतु “हम होंगे कामयाब” जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के निर्देशन में जिले में विगत 25 नवंबर से आयोजित होने वाले इस पखवाड़े के तहत प्रतिदिन निर्धारित गतिविधियों का आयोजन कर लिंग आधारित हिंसा के रोकथाम एवं निवारण के संबंध में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन के द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान की सफलता तब तक नहीं मानी जा सकती, जब तक महिला पीड़ितों की फरियाद सुनने उन्हें अपने समीपवर्ती थाने में कोई सक्षम अधिकारी ना मिले। कटनी जिला पुलिस विभाग के तीन अनुभागों में विभक्त है। तीन अनुभागों में से दो अनुभाग ऐसे हैं जहां पर महिला संबंधी अपराधों की सुनवाई और विवेचना करने के लिए महिला पुलिस अधिकारी की तैनाती है। जिले के सबसे ज्यादा चर्चित विजयराघवगढ़ अनुभाग में तो कोई सक्षम महिला अधिकारी ही तैनात नहीं है। यहां पर तैनाती के नाम पर केवल एक महिला एएसआई की तैनाती है, जो की महिला संबंधी छुटपुट घटनाओं की सुनवाई तो कर सकती हैं, मगर दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों की सुनवाई और विवेचना करने का उन्हें अधिकार ही नहीं। ऐसे में जागरूक होने के बाद पीड़ित महिलाएं अपनी फरियाद सुनाए भी तो किससे।
सिर्फ दो थानों में महिला अधिकारी
पुलिस विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कटनी पुलिस बल में केवल दो थाने ऐसे हैं जहां पर महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती वर्तमान में है। इन दो थानों में शहरी अनुभाग के माधवनगर थाना, कोतवाली थाना एवं स्लिमनाबाद अनुभाग के स्लीमनाबाद थाने में महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है। जिले की हॉट सीट विजयराघवगढ़ विधानसभा के विजयराघवगढ़ अनुभाग में केवल एक एएसआई विजयराघवगढ़ थाने में पदस्थ है जो की अनुभाग के सभी थानों के बीच चक्कर लगाते हुए पीड़ित महिलाओं की समस्याएं सुनती है। देखा जाए तो विजयराघवगढ़ अनुभाग में पदस्थ महिला एएसआई को महिला संबंधी गंभीर अपराधों की सुनवाई करने का अधिकार ही नहीं। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि विजयराघवगढ़ अनुभाग में सक्षम महिला पुलिस अधिकारी की पदस्थापना है ही नहीं।
लगाने पड़ते हैं चक्कर
ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब जिले के किसी थाने में महिला संबंधी अपराधों की सूचना प्राप्त न हो। सूचना प्राप्त होने के बावजूद चाह कर भी पीड़ित महिलाओं की फरियाद सुनी नहीं जा सकती। इसका कारण वहां पर महिला अधिकारी का मौजूद न होना बताया जाता है। आए दिन पीड़ित महिलाओं को न्याय की आस लगाए इधर-उधर भटकते हुए देखा जाता है। कई बार तो ऐसी घटनाएं भी होती हैं जहां पर समय पर न्याय न मिल पाने के कारण पीड़ित महिलाएं आत्मघाती कदम उठा लेती हैं। ताजा मामला माधव नगर थाना क्षेत्र में देखने को मिला था। जहां पर एक नाबालिक गर्भवती ने समय पर न्याय न मिल पाने के कारण आत्मघाती कदम उठा लिया था।
कैसे मिलेगा न्याय
आए दिन प्रताड़ना का शिकार होने वाली पीड़ित महिलाएं थानों में पहुंचकर या फिर डायल 100 के जरिए अपनी शिकायत तो दर्ज कराती हैं लेकिन उन्हें समय पर न्याय नहीं मिल पाता ऐसे में प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन महिला हिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करके करेगी भी क्या, जब उन्हें न्याय समय पर मिल ही नहीं सकेगा।
होनी चाहिए पदस्थापना
वैसे तो हर थाने में एक महिला सक्षम अधिकारी की पदस्थापना की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा संभव अगर नहीं है तो भी ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए जिससे पीड़ित महिलाओं के पास महिला पुलिस अधिकारी कुछ देर में ही पहुंच जाए। वर्तमान स्थिति में ऐसा हो नहीं पा रहा। ऐसा नहीं है कि विभाग में सक्षम महिला पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं है।
इनका कहना है
इस संबंध में बातचीत करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉक्टर संतोष डेहरिया ने कहा कि विभाग में महिला पुलिस अधिकारियों की कमी है, जिसके कारण यह समस्या तो आती है लेकिन शिकायत आने पर तत्काल न्याय दिलाने के हर संभव प्रयास विभाग के द्वारा किए जाते हैं।

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Author: RashtraRakshak

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