?हद दर्जे की लापरवाही?
अवैध अतिक्रमण और अवैध पार्किंग खा गई सड़क, पल पल जाम बना जंजाल, उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना कर रहा ननि, रिहायशी क्षेत्र का व्यावसायिक उपयोग, ये है कटनी मेरे भाई

कटनी। शहर में नगर निगम प्रशासन इतना आराम पसंद हो चुका है कि लोगों की पीड़ा से उसे कोई सरोकार पहले भी नहीं था और अब भी नहीं है। लेकिन न्याय पालिका के आदेशों को भी नगर निगम अनसुना करेगा ऐसी उम्मीद नहीं थी। दरअसल शहर में अवैध पार्किंग और अवैध अतिक्रमण से जमा लगने से शहरी लोगों का जीना दुश्वार है। अच्छी खासी चौड़ी सड़कों पर अतिक्रमण होने से सड़के सिकुड़ गई हैं और आवागम बेहद कष्ट दाई हो गया है। ऐसी ही पीड़ा का सामना जब जिले के भाजपा किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष शैलेश कन्हैया तिवारी का हुआ तो उनके समझ में आ गया कि समस्या जानलेवा भी बन सकती है। क्योंकि भाजपा नेता कन्हैया तिवारी तब जाम में फंसे तब उनकी माता का स्वास्थ्य खराब था और उन्हें अस्पताल जाना था। उन्होंने देखा कि सड़क पर दोनों ओर नाले के ऊपर दो से तीन फिट कब्जा कर पक्का निर्माण कर लिया गया है और सड़क सिकुड़ गई है। घरों के बाहर सड़क पर कार खड़ी है, रिहायशी इलाके का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है। अवैध पार्किंग और अवैध अतिक्रमण से सड़क छोटी हो चुकी है और हर पल जाम लग रहा है। यह सब किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष शैलेश कन्हैया तिवारी के सिविल लाइन स्थित पैतृक मकान के आसपास की स्थिति है जबकि पूरे शहर में यही आलम है। उन्होंने तत्काल सीएम हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत कर अतिक्रमण और अवैध पार्किंग हटाने शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ, उन्होंने नगर निगम आयुक्त को लिखित शिकायत की। फिर भी नगर निगम ने कोई एक्शन नहीं लिया। हद तो तब हुई जब उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की और जबलपुर हाई कोर्ट ने 4 हफ्ते में अवैध पार्किंग और अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया, फिर भी कटनी का नगर निगम प्रशासन कोर्ट के आदेश की भी अवमानना करने से नहीं चुका।
लाखों खर्च परिणाम शून्य
नगर निगम प्रशासन का खुद का भारी भरकम अतिक्रमण विभाग है। जिस पर हर माह वाहन खर्च डीजल और वेतन में लाखों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन शहर में अतिक्रमण को रोकने कभी भी कोई प्रभावी कार्रवाई दिखाई नहीं देती। अराजकता भरी व्यवस्था से लोगों का दम घुटने लगा है। आम आदमी की शिकायतों से नगर निगम के अफसरों को कोई लेना देना नहीं। जब भाजपा नेता कन्हैया तिवारी को हाई कोर्ट जाने के बाद भी राहत मिलती नहीं दिख रही, तो सोचिये आम आदमी की क्या हालत होती होगी।
उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना का दोषी कौन
जनहित याचिका लगने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं हो रहा तो इसका दोषी कौन है। नगर निगम प्रशासन या फिर नगर निगम आयुक्त ? स्थानीय भाजपा सरकार का प्रशासन भाजपा नेताओं की जनहित से जुड़ी समस्या का समाधान करने में ऐसी बेरुखी अपना रहा है कि सामान्य सी समस्या का समाधान कराने के लिए भाजपा जिलाध्यक्ष किसान मोर्चा अध्यक्ष को हाई कोर्ट में जाकर जनहित याचिका दायर करनी पड़ रही है। इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आम जनता कितनी तकलीफ में है। आखिर किसके दबाव में आकर नगर निगम प्रशासन उच्चतम न्यायालय के आदेश को भी नहीं मान रहा है। यह केवल सिविल लाइन स्थित डॉक्टर वैश्य गली की समस्या नहीं है। इसी अव्यवस्था और अराजकता की तस्वीरें आपको शहर के हर गली मोहल्ले में देखने को रोज मिलती है, लेकिन गजब है नगर निगम प्रशासन उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता और ऐसा लग रहा है कि निगम अफसरों को आम जनता की मुसीबतों से कोई सरोकार ही नहीं है।