????कंपनी की मनमानी???? रैक लोडिंग करते समय आदिवासी मजदूर की तबियत बिगड़ी, उपचार के दौरान जबलपुर में मौत, कुमार कार्गो कंपनी ने सहायता राशि के नाम पर नहीं दिया धेला, मामला कुटेश्वर लाइमस्टोन माइंस का

????कंपनी की मनमानी????

रैक लोडिंग करते समय आदिवासी मजदूर की तबियत बिगड़ी, उपचार के दौरान जबलपुर में मौत, कुमार कार्गो कंपनी ने सहायता राशि के नाम पर नहीं दिया धेला, मामला कुटेश्वर लाइमस्टोन माइंस का

 

कटनी। जिले की बरही थाना अंतर्गत कुटेश्वर लाइम स्टोन माइंस गैरतलाई में रेलवे साइडिंग में रैक लोड करते समय एक मजदूर की तबीयत बिगड़ गई उसे इलाज के लिए बरही अस्पताल ले जाया गया, जहां पर हालत में सुधार न हो पाने के कारण उसे कटनी रेफर कर दिया गया। कटनी से भी बाद में उसे जबलपुर लेकर जाया गया जहां पर बीते दिनों उसकी मौत हो गई। पिछले 30 वर्षों से कंपनी में मजदूरी का काम करने वाले एक व्यक्ति की काम के दौरान तबीयत बिगड़ने और फिर बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाने के मामले में कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों ने ना तो मजदूर का इलाज करवाने में रुचि दिखाई और फिर ना ही बाद में मजदूर के परिवार की सुध ली। मजदूर के परिवार का कहना है कि यदि समय रहते कंपनी बीमार मजदूर को आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए समय से बेहतर इलाज करवाती तो मजदूर की मौत नहीं होती।

यह हुई घटना

कुटेश्वर लाइम स्टोन माइंस गैरतलाई के रेलवे साइडिंग खन्ना बंजारी में रैक लोडिंग का कार्य हजारों मजदूरों के द्वारा किया जाता है। उसी रैक लोडिंग का काम मृतक जियालाल पिता जागेश्वर कोल उम्र लगभग 50 वर्ष निवासी करौंदी खुर्द एवं उसकी पत्नी सुरतिबाई भी करते थे। कुछ समय पहले सुरतिया बाई को उम्र अधिक होने के कारण कंपनी ने साइड में आने से मना कर दिया। अब उसकी जगह उसका लड़का राम मनोहर पिता जियालाल रैक लोडिंग का काम करने लगा। मृतक की पत्नी और लड़के ने बताया कि रविवार 29 सितंबर 24 को पिता पुत्र रोज की तरह रैक भरने गए हुए थे। रैक भर रहे थे आधी गाड़ी भरेने के बाद अचानक जियालाल की तबीयत बिगड़ गई सीने में तेज दर्द होने के कारण उसे तुरंत बरही अस्पताल लेकर जाया गया। बरही अस्पताल में हालत बिगड़ती देख उसे कटनी रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में भी तबीयत में सुधार नहीं होने पर उसे जबलपुर रेफर कर दिया गया। जहां सोमवार 30 सितंबर 24 को इलाज के दौरान जियालाल की मौत हो गई।

कंपनी ने नहीं दी फूटी कौड़ी

जियालाल के पुत्र राम मनोहर एवं उसकी पत्नी ने घटना के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि रैक लोड करते समय अचानक जियालाल की तबीयत बिगड़ जाने के बाद कंपनी ने उसका इलाज करने के कोई प्रयास नहीं किए। इलाज के लिए ना तो आर्थिक मदद की और ना ही कहीं पर इलाज कराना उचित समझा। इतना ही नहीं ठेकेदार व उनके कर्मचारियों ने जियालाल के परिवार का हाल-चाल तक नहीं पूछा। मृतक के परिवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि सेल कंपनी ने 30 वर्षों मजदूर का काम करने वाले जियालाल का न तो इलाज कराया और ना उसके परिवार के विषय में सोचा। आर्थिक मदद करने की बजाय सिर्फ पी.एफ का पैसा देने की बात कह रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दो चार  ठेकेदार के दलाल मजदूर जियालाल कोल की मौत के बाद सक्रिय हो गए हैं और मृतक की हाजिरी की जगह अनुपस्थिति लगाकर मामले को रफा दफा करने के काम में जुट गए हैं। जबकि मृतक की पत्नी और बच्चों सहित अन्य मजदूरों का कहना है मृतक सुबह 7 बजे रैक भरने  गया था। आधा डिब्बा भर भी लिया तब तबीयत बिगड़ी। यहां पर एक आदिवासी मजदूर की काम के दौरान मौत होने के बाद ठेकेदार और कंपनी के अधिकारी जिस तरह मामले को रफा दफा करने में जुटे हुए हैं उसे उनकी मंशा साफ जाहिर होती है। मृतक जियालाल के परिजन प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

????कंपनी की मनमानी????
रैक लोडिंग करते समय आदिवासी मजदूर की तबियत बिगड़ी, उपचार के दौरान जबलपुर में मौत, कुमार कार्गो कंपनी ने सहायता राशि के नाम पर नहीं दिया धेला, मामला कुटेश्वर लाइमस्टोन माइंस का

कटनी। जिले की बरही थाना अंतर्गत कुटेश्वर लाइम स्टोन माइंस गैरतलाई में रेलवे साइडिंग में रैक लोड करते समय एक मजदूर की तबीयत बिगड़ गई उसे इलाज के लिए बरही अस्पताल ले जाया गया, जहां पर हालत में सुधार न हो पाने के कारण उसे कटनी रेफर कर दिया गया। कटनी से भी बाद में उसे जबलपुर लेकर जाया गया जहां पर बीते दिनों उसकी मौत हो गई। पिछले 30 वर्षों से कंपनी में मजदूरी का काम करने वाले एक व्यक्ति की काम के दौरान तबीयत बिगड़ने और फिर बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाने के मामले में कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों ने ना तो मजदूर का इलाज करवाने में रुचि दिखाई और फिर ना ही बाद में मजदूर के परिवार की सुध ली। मजदूर के परिवार का कहना है कि यदि समय रहते कंपनी बीमार मजदूर को आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए समय से बेहतर इलाज करवाती तो मजदूर की मौत नहीं होती।
यह हुई घटना
कुटेश्वर लाइम स्टोन माइंस गैरतलाई के रेलवे साइडिंग खन्ना बंजारी में रैक लोडिंग का कार्य हजारों मजदूरों के द्वारा किया जाता है। उसी रैक लोडिंग का काम मृतक जियालाल पिता जागेश्वर कोल उम्र लगभग 50 वर्ष निवासी करौंदी खुर्द एवं उसकी पत्नी सुरतिबाई भी करते थे। कुछ समय पहले सुरतिया बाई को उम्र अधिक होने के कारण कंपनी ने साइड में आने से मना कर दिया। अब उसकी जगह उसका लड़का राम मनोहर पिता जियालाल रैक लोडिंग का काम करने लगा। मृतक की पत्नी और लड़के ने बताया कि रविवार 29 सितंबर 24 को पिता पुत्र रोज की तरह रैक भरने गए हुए थे। रैक भर रहे थे आधी गाड़ी भरेने के बाद अचानक जियालाल की तबीयत बिगड़ गई सीने में तेज दर्द होने के कारण उसे तुरंत बरही अस्पताल लेकर जाया गया। बरही अस्पताल में हालत बिगड़ती देख उसे कटनी रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में भी तबीयत में सुधार नहीं होने पर उसे जबलपुर रेफर कर दिया गया। जहां सोमवार 30 सितंबर 24 को इलाज के दौरान जियालाल की मौत हो गई।
कंपनी ने नहीं दी फूटी कौड़ी
जियालाल के पुत्र राम मनोहर एवं उसकी पत्नी ने घटना के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि रैक लोड करते समय अचानक जियालाल की तबीयत बिगड़ जाने के बाद कंपनी ने उसका इलाज करने के कोई प्रयास नहीं किए। इलाज के लिए ना तो आर्थिक मदद की और ना ही कहीं पर इलाज कराना उचित समझा। इतना ही नहीं ठेकेदार व उनके कर्मचारियों ने जियालाल के परिवार का हाल-चाल तक नहीं पूछा। मृतक के परिवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि सेल कंपनी ने 30 वर्षों मजदूर का काम करने वाले जियालाल का न तो इलाज कराया और ना उसके परिवार के विषय में सोचा। आर्थिक मदद करने की बजाय सिर्फ पी.एफ का पैसा देने की बात कह रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दो चार ठेकेदार के दलाल मजदूर जियालाल कोल की मौत के बाद सक्रिय हो गए हैं और मृतक की हाजिरी की जगह अनुपस्थिति लगाकर मामले को रफा दफा करने के काम में जुट गए हैं। जबकि मृतक की पत्नी और बच्चों सहित अन्य मजदूरों का कहना है मृतक सुबह 7 बजे रैक भरने गया था। आधा डिब्बा भर भी लिया तब तबीयत बिगड़ी। यहां पर एक आदिवासी मजदूर की काम के दौरान मौत होने के बाद ठेकेदार और कंपनी के अधिकारी जिस तरह मामले को रफा दफा करने में जुटे हुए हैं उसे उनकी मंशा साफ जाहिर होती है। मृतक जियालाल के परिजन प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

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